दुर्लभ रोगों के निदान, उपचार और प्रबंधन के क्षेत्र में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में दुर्लभ रोग राष्ट्रीय नीति 2021 (National Policy for Rare Diseases 2021 – NPRD 2021) के माध्यम से एक मजबूत संस्थागत और वित्तीय ढांचा स्थापित किया है। ये प्रयास उन्नत आनुवंशिक निदान तकनीकों और सफलता की कहानियों पर केंद्रित हैं जिन्होंने नैदानिक अभ्यासों को बदल दिया है।
1. दुर्लभ रोग: तथ्य और चुनौतियाँ
दुर्लभ रोग विश्व स्तर पर एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती हैं, जिसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारत में है।
- एक अनुमान के अनुसार, विश्वभर में 350 मिलियन लोग दुर्लभ रोगों से प्रभावित हैं, जिनमें से लगभग 1/5वाँ हिस्सा भारत से है।
- 7,000 से अधिक दीर्घकालिक दुर्लभ रोग ज्ञात हैं, और इनमें से 80% रोग आनुवंशिक रूप से आधारित होते हैं।
- इन रोगों के निदान में औसतन 9 वर्ष का समय लगता है, जिसे ‘निदान यात्रा (Diagnosis Odyssey)’ कहा जाता है।
- वैश्विक स्तर पर केवल 5% बीमारियों के लिए ही अनुमोदित चिकित्सीय समाधान (approved therapeutic solutions) उपलब्ध हैं।
2. राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 (NPRD 2021) के दिशा-निर्देश
NPRD 2021 का उद्देश्य संसाधनों की बाधाओं के भीतर दुर्लभ रोग रोगियों को किफायती स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच प्रदान करना है।
नीति के मुख्य उद्देश्य:
- एकीकृत और व्यापक निवारक रणनीति प्रदान करना।
- उन रोगियों को किफायती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सक्षम करना जिनके रोग एक बार के उपचार (one-time treatment) या अपेक्षाकृत कम लागत वाली चिकित्सा के योग्य हैं।
- केंद्र सरकार उत्कृष्टता केंद्रों (CoEs) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के तहत निदान केंद्रों (NIDAN Kendras) के माध्यम से राज्यों को स्क्रीनिंग और रोकथाम के प्रयासों में प्रोत्साहित और समर्थन करेगी।
वित्तीय सहायता और प्रक्रिया:
- समर्थन के लिए ₹50 लाख की सीमा NPRD 21 के अनुसार निर्धारित की गई है, जो CSR/CF (Corporate Social Responsibility/Crowd Funding) नामांकन के पोर्टल के माध्यम से प्रदान की जाती है।
- इस समर्थन के लिए आवेदन उत्कृष्टता केंद्रों (CoEs) के माध्यम से किया जाता है। आवेदन के लिए उपचार करने वाले चिकित्सक और माता-पिता/अभिभावक के दो फॉर्म तथा CoE समिति की मंजूरी आवश्यक है।
- हाल ही में, फंडिंग प्रक्रिया में बदलाव आया है जिसके तहत सभी CoEs को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) से एक निर्दिष्ट राशि प्राप्त हुई है।
- यह सहायता केवल विशिष्ट उपचार/सहायक उपचार के लिए दी जाती है और इसमें प्रतिपूर्ति लाभार्थियों (reimbursement beneficiaries) को शामिल नहीं किया गया है।
रोग वर्गीकरण:
नीति रोगों को तीन समूहों में वर्गीकृत करती है:
- समूह 1: वे विकार जो एक बार के उपचारात्मक उपचार के योग्य हैं, जैसे HSCT (हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन) या लिवर/किडनी प्रत्यारोपण (उदाहरण: ALD, PID, Fabry)।
- समूह 2: वे रोग जिनके लिए दीर्घकालिक/जीवनपर्यंत उपचार की आवश्यकता है, लेकिन उपचार की लागत अपेक्षाकृत कम है (उदाहरण: FSMP द्वारा PKU, या ट्राइएंटाइन द्वारा विल्सन रोग)।
- समूह 3: वे रोग जिनके लिए निश्चित उपचार उपलब्ध है, लेकिन चुनौतियां बहुत अधिक लागत और आजीवन चिकित्सा से जुड़ी हैं (उदाहरण: गौचर रोग, पॉम्पे रोग)।
3. संस्थागत संरचना और डीबीटी की पहलें (CoEs और UMMID)
उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) निदान, उपचार और अनुसंधान के मुख्य केंद्र हैं। देश भर में 15 उत्कृष्टता केंद्र सूचीबद्ध हैं, जिनमें एम्स जोधपुर (CoE अधिसूचना तिथि: 18.10.2022) शामिल है।
CoEs की जिम्मेदारियाँ:
- सभी स्तरों पर शिक्षा और प्रशिक्षण।
- स्क्रीनिंग: प्रसव पूर्व (antenatal), नवजात (neonatal), उच्च जोखिम वाली स्क्रीनिंग।
- निदान: साइटोजेनेटिक, आणविक और चयापचय निदान।
- रोकथाम: प्रसव पूर्व स्क्रीनिंग और निदान द्वारा रोकथाम।
- अनुसंधान: कम लागत वाले निदान और उपचार के क्षेत्र में अनुसंधान।
डीबीटी की UMMID पहल:
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) की UMMID (Unique Methods of Management of Inherited Disorders) पहल दुर्लभ रोगों के लिए विशिष्ट नैदानिक, प्रशिक्षण और आउटरीच सेवाएं प्रदान करती है:
- 5 निदान केंद्र (NIDAN Kendras): 4 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थापित।
- 6 प्रशिक्षण केंद्र: 5 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थापित, जो जेनेटिक निदान में फेलोशिप प्रदान करते हैं।
- 9 आकांक्षी जिले UMMID आउटरीच के तहत शामिल हैं।
एम्स जोधपुर में, NIDAN केंद्र 2019 में स्थापित किया गया था, और इसने 4814 रोगियों को पंजीकृत किया है। कुल 6000+ रोगियों की स्क्रीनिंग की गई है।
4. सफलता की कहानियाँ और नैदानिक अभ्यास
उन्नत आनुवंशिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग से नैदानिक अभ्यासों में परिवर्तन आया है:
A. सटीक निदान और उपचार:
- आनुवंशिक निदान की शक्ति: एक 14 वर्षीय पुरुष रोगी, जिसे बार-बार अग्नाशयशोथ (recurrent Pancreatitis) की शिकायत थी, की जांच के लिए संपूर्ण एक्सोम अनुक्रमण (Whole Exome Sequencing – WES) का उपयोग किया गया। WES ने वंशानुगत अग्नाशयशोथ के साथ-साथ एक अतिरिक्त CFTR उत्परिवर्तन का पता लगाया, जिससे रोगी की जटिल प्रस्तुति का दोहरा आनुवंशिक निदान (dual genetic diagnosis) हो सका।
- उपचारात्मक उपचार: एड्रेनोलेयूकोडाइस्ट्रोफी (ALD) से पीड़ित एक बच्चे का बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) किया गया और वह अब ठीक हो गया है। यह दर्शाता है कि दुर्लभ रोगों का भी इलाज संभव है।
- सटीक चिकित्सा (Precision Medicine): एक 14 महीने के बच्चे में, एक्सोम अनुक्रमण ने ABCC8 जीन में उत्परिवर्तन का पता लगाया, जिससे उसका इलाज इंसुलिन के बजाय ग्लाइब्यूराइड से किया गया और रक्त शर्करा को नियंत्रित किया जा सका।
B. वित्तीय और निवारक सफलता:
- वित्तीय सहायता का सफल उपयोग: गणेश को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत अपने उपचार (एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी – ERT) के लिए ₹50 लाख का समर्थन मिला।
- रोकथाम की शक्ति: वित्तीय सहायता मिलने के बाद, गणेश के परिवार ने बाद में आनुवंशिक क्लिनिक से प्रसव पूर्व परामर्श (prenatal counseling) लिया। प्रसव पूर्व निदान को “जादुई उपकरण” माना जाता है जो परिवारों को आनुवंशिक विकारों के बोझ को कम करने में मदद करता है।
5. उपचार और अनुसंधान की स्थिति
6 बीमारियों के लिए 8 दवाओं की स्थिति (जुलाई 2022 से): 4 दवाएं विपणन के लिए अनुमोदित / बाज़ार में उपलब्ध हैं:
- कैप निटिसिनोन (टाइरोसिनेमिया टाइप 1)।
- कैप एलिग्लुस्टैट (गौचर रोग)।
- कैप ट्राईएंटाइन (विल्सन रोग)।
- कैनबिडिओल ओरल सॉल्यूशन (ड्रैवेट/लेनोक्स गैस्टोट सिंड्रोम)।
4 दवाएं अनुमोदन प्रक्रिया के अधीन हैं:
- टैब सैप्रोप्टेरिन (फेनिलकेटोनुरिया)।
- टैब सोडियम फेनिल ब्यूटाइरेट (हाइपरअमोनिया)।
- टैब कार्ग्लुमिक एसिड (हाइपरअमोनिया)।
- कैप मिग्लुस्टैट (गौचर रोग)।
जेनेटिक थेरेपी में अनुसंधान: भारत में जेनेटिक उपचार के क्षेत्र में अनुसंधान प्रगति पर है, जिसमें फैनकोनी एनीमिया जीन एडिटिंग, सीएमसी वेल्लोर में हीमोफिलिया और मस्कुलोस्केलेटल रीजनरेशन के लिए जीन थेरेपी कार्यक्रम, और आईआईटी कानपुर में ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (DMD) के लिए उपचार विकसित करने पर अनुसंधान शामिल है।
ये संगठित प्रयास दुर्लभ रोगों के निदान और उपचार में क्रांति ला रहे हैं, जिससे जटिल आनुवंशिक पहेलियों को सुलझाने में सहायता मिल रही है।
For more details: https://rarediseases.mohfw.gov.in
